प्रधानमंत्री 12 करोड़ के फूलों के नीचे दब गए हैं।।

प्रधानमंत्री जी क्या आप के पास थोड़ा सा भी समय नहीं है जेट एयरवेज के इन 22000 हजार कर्मचारीओं  की व्यथा सुनने के लिए ||
1992 में बनी जेट एयरवेज आज अपने आखरी पड़ाव की ओर मालूम होती है और इसके कर्मचारी अपने आखरी मुक़ाम पर || अभी कल ही कंपनी के एक कर्मचारी ने बहुमंजिला इमारत से कूद कर आत्महत्या कर ली || बहुत ही दुखद है ये जब अपनी रोजी रोटी को अपने हाथों से छिनता देख कर यह कर्मचारी मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर निकल आये हैं वहीं दूसरी ओर हमारे प्रधानमंत्री बनारस में 1.4 लाख लीटर पानी व् 12 करोड़ रूपये के गुलाब के फूल बनारस की सड़कों पर बर्बाद कर मेगा रोड शो करने में व्यस्त हैं || लगता है प्रधानमंत्री इन्ही 12 करोड़ रुपयों के ख़रीदे गए फूलों में दब गए हैं शायद इसीलिए उनके कानों तक इन कर्मचारिओं की आवाज नहीं पहुंच रही है ||  
देश का यह दुर्भाग्य है कि  एक ओर सड़कों पर कर्मचारिओं के आंसू , उनकी उम्मीदें गिर रहीं हैं तो दूसरी ओर सड़कों पर देश के प्रधानमंत्री के लिए फूलों की वर्षा हो रही हैं वो भी तब जब समाज का एक वर्ग अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है || क्या प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है की वो इन कर्मचारिओं के हितों की रक्षा करें ??
क्या प्रधानमंत्री सिर्फ चुनावी रैलियां एवं जोड़ तोड़ कर सरकार बनाने में यकीन रखते हैं ? अगर ऐसा है तो माफ़ कीजियेगा प्रधानमंत्री महोदय आप खुद को प्रधान सेवक कहने का अधिकार खो चुके हैं , आप भले ही बहुमत की सरकार बना सकते हैं लेकिन जनमत की सरकार नहीं||

जेट एयरवेज की कहानी का एक सिरा यह है कि 2018 के वित्तीय वर्ष में कोम्पनी को 728 करोड़ रूपये का घाटा हुआ और दुर्भाग्यवश वो इस वक़्त भी घाटे में ही चल रही है|| कंपनी ने अस्थायी तौर पर अपनी सेवाएं रद्द कर दी हैं, पायलट से लेकर एयर हॉस्टेस  तक , तकनीशियन से लेकर फ्लाइट अटेंडेंट तक सभी अपनी नौकरी खोने की कगार पर हैं जिसके लिए वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं और सरकार की तरफ से इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं||
कंपनी ने 5 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक कर्मचारिओं की तनख्वा में कटौती करने का निर्णय लिया लेकिन यह निर्णय बहुत कारगर नहीं हुआ||
जेट एयरवेज के घाटे में जाने का मुख्य कारण है तेल के दामों में बढ़ोत्तरी , रूपये का गिरना लेकिन कंपनी के दामों में फिर भी कोई बढ़त न करना||

कंपनी के एक एग्जीक्यूटिव के मुताबिक जेट की इस स्थिति का कारण 2006 में 22 भारी विमानों की डिलीवरी को 18 महीनो के भीतर ही स्वीकृति देना है ||
उसके बाद 2007 में बुरे दौर से गुजर रही सहारा एयरलाइन को 14.5 बिलियन में खरीदना जो जेट एयरवेज के फंडामेंटल्स के मुताबिक़ ठीक नहीं थी ||
इन कुछ कारणों से जेट एयरवेज का बुरा दौर शुरू हुआ जो अब तक चल रहा है अब सवाल ये है कि कंपनी के इस मुश्किल दौर में सरकार की भूमिका क्या है||
अब तक 1900 कर्मचारी अपनी नौकरी खो चुके हैं और आगे ये सिलसला जारी है , सरकार को इसपर अपना पक्ष  रखना होगा || प्रधानमंत्री जी को इन कर्मचारिओं की मुश्किलों को सुनना और समझना होगा||

यही हाल बीएसएनएल का भी है 2019 में 7500 करोड़ रूपये का घाटा झेल रही बीएसएनएल कंपनी बंद होने की कगार पर है तकरीबन 1.76 लाख कर्मचारी अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं||
नीतियां सरकार की होती हैं गलत हों या सही इसमें जिम्मेदारी भी सरकार की होनी चाहिए लेकिन अफ़सोस जब कोई कंपनी इस प्रकार के घाटे को वहन कर रही होती है या बुरे दौर से गुजर रही होती है तो इसका सीधा नुकसान इसके कर्मचारिओं को उठाना पढता है और सरकार की नुमाइंदगी करने वाले लोग मेगा रोड शो 12 करोड़ के फूलों की वर्षा से खुद को महिमामंडित करने में व्यस्त होते हैं|| 


सरकार की यही गलतियां देश को एक दिन क्रांति के मार्ग पर चलने को विवश क्र देती हैं इससे पहले कि ऐसा कुछ हो मेरी सरकार और प्रधानमंत्री महोदय दोनों ही से विनती है कृपया जेट एयरवेज  और बीएसएनएल के इन कर्मचारिओं की मुश्किलों को हल करने का प्रयास कीजिये बजाय किसी इंटरव्यू में ये बताने के कि आपको आम खाना और पोहा बनाना बहुत अच्छे से आता है||

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